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Friday, January 22, 2021

ज्योतिष विज्ञान से जाने आपके स्वास्थ का राज

*ज्योतिष विज्ञान से आपके स्वस्थ जीवन का राज़?*


शरीर को निरोगी बनाए रखने के लिए ज्योतिष के हेल्थ उपाय को अपनाना बहुत ज़रुरी है। आप में से कई लोगों हेल्थ उपाय को लेकर सजग और गंभीर होंगे। अपने शरीर को फिट बनाए रखने के लिए कई लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं, जो कि अच्छी बात है, क्योंकि स्वस्थ शरीर हमारा सबसे बड़ा धन है। कई बार आपने लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि “जान है तो जहां है।” इस कहावत का तात्पर्य हमारे स्वस्थ जीवन से है। परंतु हमें यह जान लेना ज़रुरी है कि स्वस्थ जीवन का अर्थ यहाँ सिर्फ आरोग्य जीवन से नहीं है, बल्कि मनुष्य का सर्वांगीण विकास ही स्वस्थ जीवन है। जो मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक ख़ुशहाली की स्थिति को दर्शाता है।

*ज्योतिष और स्वास्थ्य*

सभी नौ ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है। मनुष्य का शरीर  पांच तत्वों और तीन धातुओं से मिलकर बना है। जिनको सभी 9 ग्रह मिलकर नियंत्रित करते हैं। क्या आप जानते हैं जब भी कोई तत्व या धातु कमजोर हो जाती है, तो हमारे शरीर में बीमारियां पैदा होने लगती हैं। बीमारी छोटी हो या बड़ी, मनुष्य के शरीर में होने वाली हर बीमारी का सीधा प्रभाव नौ ग्रहों से होता है। कौन सा ग्रह किस बीमारी के लिए जिम्मेदार है, इस बात की जानकारी यदि व्यक्ति को हो जाए तो वह बहुत हद तक अपनी बीमारियों को दूर कर सकता है। इसलिए इस बात की जानकारी बेहद जरूरी है, कि किस ग्रह से कौन सा रोग जन्म लेता है। तो आइए जानते हैं कि इन सभी नौ ग्रहों में से कौन सा ग्रह किस बीमारी का कारक है, और इनसे बचने के लिए हमें क्या उपाय करना चाहिए

वैदिक ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक ग्रह का संबंध व्यक्ति के किसी न किसी अंग से है और इन ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार जब कोई पीड़ित ग्रह लग्न, लग्नेश, षष्ठम भाव अथवा अष्टम भाव से सम्बन्ध बनाता है तो ग्रह से संबंधित अंग रोग से प्रभावित हो सकता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार छठे भाव के स्वामी का सम्बन्ध लग्न भाव लग्नेश या अष्टमेश से होना स्वास्थ्य के पक्ष से शुभ नहीं माना जाता है। जब छठे भाव का स्वामी एकादश भाव में हो तो रोग अधिक होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसी प्रकार छठे भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो तो व्यक्ति को लंबी अवधि के रोग होने की अधिक संभावनाएं रहती हैं। यदि लग्नेश छठे या आठवें भाव में हो तो इस स्थिति में भी शारीरिक कष्ट रहने की संभावना रहती है। 

*ग्रह*

सुर्य

*संबंधित अंग व पीड़ा*

ह्रदय, पेट, पित्त, दायीं आँख, घाव, जलने का घाव, गिरना, रक्त प्रवाह में बाधा

चंद्रमा
शरीर के तरल पदार्थ, रक्त, बायीं आँख, छाती, दिमागी परेशानी, महिलाओं में मासिक चक्र की अनिमियतता

मंगल
सिर, जानवरों द्वारा काटना, दुर्घटना, जलना, घाव, शल्य क्रिया, आपरेशन, उच्च रक्तचाप, गर्भपात

बुध
गले, नाक, कान, फेफड़े, आवाज़, बुरे सपनों का आना

गुरु
यकृत, शरीर में चर्बी, मधुमेह, कान

शुक्र
मूत्र में जलन, गुप्त रोग, आँख, आँतें, अपेंडिक्स, मूत्राशय में पथरी

शनि
पांव, पंजे की नसे, लसीका तंत्र, लकवा, उदासी, थकान

राहु
हड्डियाँ, ज़हर , सर्प दंश, बीमारियाँ, डर

केतु
हकलाना, पहचानने में दिक्कत, आँत, परजीवी

*बिस्तार से जाने किस ग्रह से कौन से रोग होने की रहती है संभावना और उपाय*

सूर्य ग्रह से होने वाली बीमारियां 
नौ ग्रहों में सूर्य को राजा का दर्जा प्राप्त है। हर ग्रह की शक्ति के पीछे सूर्य की शक्ति मानी गई है। क्या आप जानते हैं कि यदि आपका सूर्य ठीक नहीं है, तो आपको हड्डियों और नेत्र  से जुड़ी हुई समस्या हो सकती है। हृदय रोग, टीबी और पाचन तंत्र जैसी बीमारियों का कारण भी सूर्य ग्रह ही माना जाता है । 

 उपाय
सूर्य ग्रह से होने वाली बीमारियों के प्रभाव से बचने के लिए सुबह जल्दी उठें। स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। खाने में गेहूं की दलिया का सेवन जरूर करें । तांबे के पात्र में पानी पीएं। 

चंद्रमा से होने वाली बीमारियां
चंद्रमा इंसान के मन और सोच को नियंत्रित करता है, और यही कारण है कि इस ग्रह द्वारा व्यक्ति को मानसिक बीमारियां होती हैं। व्यक्ति को अनेक तरह की चिंताएं परेशान करती है। नींद ना आना, घबराहट होना और बेचैनी जैसी अनेक समस्याएं बनी रहती हैं।

उपाय
यदि आपको इस तरह की परेशानी है, तो आप देर रात तक ना जागें। पूर्णिमा या फिर एकादशी में से किसी एक तिथि पर उपवास रखें। भगवान शिव की पूजा करें। और चांदी का छल्ला या फिर चांदी की चेन धारण करें।

मंगल से होने वाली बीमारियां
मंगल ग्रह को विशेष तौर पर रक्त का स्वामी माना गया है। मंगल ग्रह से व्यक्ति को रक्त संबंधित परेशानियां होती है। दुर्घटना, बुखार जैसी परेशानियों के लिए भी मंगल ग्रह ही जिम्मेदार माना जाता है। इसके साथ-साथ त्वचा संबंधित परेशानियां भी मंगल द्वारा पैदा होती है।

उपाय
मंगल ग्रह से होने वाले रोगों से बचने के लिए मंगलवार के दिन व्रत रखें। चीनी की बजाय खाने में गुड़ का इस्तेमाल करें। जमीन पर या लो फ्लोर के पलंग पर सोएं, और घड़े का ही जल ग्रहण करें। ऐसा करना आपके लिए बेहद लाभकारी होगा।

बुध ग्रह से होने वाली बीमारियां
बुध ग्रह को व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का स्वामी माना गया है। और यही कारण है कि बुध ग्रह से इन्फेक्शन वाली बीमारियां ज्यादा होती है। कान, नाक और गले की बीमारियों के साथ-साथ त्वचा से जुड़ी हुई बीमारियों के लिए भी बुध ग्रह जिम्मेदार होता है।

उपाय
बुध ग्रह के प्रभाव से बचने के लिए खाने में हरी सब्जियों और सलाद का सेवन करें। उगते हुए सूरज की रोशनी में बैठे। सुबह खाली पेट तुलसी के पत्ते का सेवन करें। और गायत्री मंत्र का जाप करें, आपके लिए लाभकारी होगा

बृहस्पति से होने वाली बीमारियां
बृहस्पति ग्रह व्यक्ति के स्वस्थ्य रहने का कारण भी माना जाता है, तो व्यक्ति को गंभीर बीमारी देने का भी कारण है। कैंसर, हेपेटाइटिस और पेट जैसी गंभीर बीमारियां बृहस्पति ग्रह से पनपती है।

उपाय
बृहस्पति ग्रह के प्रभाव से बचने के लिए सुबह जल्दी उठकर पानी में हल्दी मिलाकर उसका सेवन करें। सोने का छल्ला तर्जनी उंगली में धारण करें। मस्तक पर हल्दी का तिलक जरूर लगाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

शुक्र ग्रह से होने वाली बीमारियां
शुक्र ग्रह के द्वारा व्यक्ति को हारमोंस और मधुमेह जैसी बीमारियां परेशान करती हैं। कभी-कभी यह आखों से संबंधित रोग भी देता है।

उपाय
दोपहर के भोजन में दही का सेवन करें। चीनी, चावल और मैदा जितना हो सके कम खाएं। सुबह जल्दी उठकर टहलने जाए, और एक सफेद स्फटिक की माला गले में धारण करें।

शनि ग्रह से होने वाली बीमारियां
शनि ग्रह से होने वाली बीमारियां आमतौर पर व्यक्ति के जीवन में लंबे समय तक बनी रहती है। व्यक्ति को चलने-फिरने में तकलीफ होती है। 

उपाय
शनि ग्रह से होने वाली बीमारियों के प्रभाव से बचने के लिए सादा भोजन करें। हवादार और साफ-सुथरे घर में रहें। लोहे का छल्ला धारण करें, रोजाना सुबह पीपल के पेड़ के नीचे बैठें।

राहु ग्रह से होने वाली बीमारियां
राहु ग्रह व्यक्ति को रहस्यमय तरह की बीमारियां देने का कारक माना गया है। छोटी दिखने वाली बीमारियां आमतौर पर आगे चलकर गंभीर रूप धारण कर लेती है। इस तरह की बीमारियां खुद ब खुद आती है, और खुद ही चली जाती है।

उपाय
राहु ग्रह से बचने वाली बीमारियों के लिए चंदन की सुगंध लें। गले में तुलसी माला धारण करें। सादा भोजन करें और चमकदार नीले रंग का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें।

केतु ग्रह से होने वाली बीमारियां
राहु की तरह ही केतु भी रहस्यमय बीमारियों का कारक है। आमतौर पर त्वचा और रक्त से संबंधित परेशानियां केतु ग्रह द्वारा होती है । इन बीमारियों का कारण और निवारण समझ में नहीं आता है।

उपाय
केतु ग्रह के प्रभाव से बचने के लिए रोजाना स्नान करें। पूजा-पाठ में मन लगाएं। ज़रूरतमंदों को भोजन कराएं और गुप्त दान करें।

भारतीय ज्योतिष में मनुष्य की समस्याओं का समाधान है। यदि आपको किसी प्रकार की शारीरिक पीड़ा है तो आप उस रोग से संबंधित ग्रह की शांति के उपाय कर सकते हैं।

*वास्तु शास्त्र और स्वास्थ्य संबंधी उपचार*

वास्तु शास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसमें व्यक्ति के व्यवस्थित जीवन के बारे में वर्णन है। इसमें वास्तु कला, भवन निर्माण, घर में शुभ-अशुभ पेड़-पौधों की दिशा की स्थिति को बतलाया गया है और इन सबका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। यदि घर का निर्माण वास्तु के हिसाब से न हो तो घर में तमाम तरह की विपत्तियाँ आती हैं। इसे वास्तु दोष भी कहते हैं। इसमें घर के सदस्यों को कई तरह के शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। मनुष्य का जीवन निरोगी रहे इसलिए वास्तु शास्त्र के स्वास्थ्य संबंधी उपाय जानना बेहद ज़रुरी है।

*वास्तु दिशाएँ और रोग निवारण उपाय-*

दक्षिण और पश्चिम दिशा के मध्य भाग को नैऋत्य कोण कहा जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा का स्वामी राक्षस है। अतः इस दिशा का वास्तु दोष दुर्घटना, रोग और मानसिक पीड़ा का कारक होता है। वास्तु के अनुसार घर पर शौचालय और रसोई का स्थान ऐसी दिशा में नहीं होना चाहिए जिससे घर में रोग या नकारात्मक ऊर्जा का आगमन हो। वास्तु उपाय के अनुसार प्रमुख व्यक्तियों का शयन कक्ष नैऋत्य कोण में होना चाहिए और बच्चों को वायव्य कोण में रखना चाहिए। शयनकक्ष में सोते समय सिर उत्तर में, पैर दक्षिण में कभी न करें। ध्यान रखें ईशान कोण में सोने से बीमारी होती है। बीम के नीचे व कालम के सामने नहीं सोना चाहिए।

*स्वास्थ्य के लिए तुलसी एक चमत्कारिक औषधि*

वेदों और पुराणों में तुलसी को लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है इसलिए यह पौधा पूजनीय है। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह पौधा घर में नकारात्मक दोषों को दूर करता है। अध्ययन के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा हो उस घर के सदस्य स्वस्थ और दुरुस्त रहते हैं। औषधि के रूप में भी तुलसी का बड़ा महत्व है। वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी का पौधा घर के दक्षिण भाग में नहीं लगाना चाहिए।

अनुशासित दिनचर्या अपनाएँ

फिटनेस उपाय में अनुशासित दिनचर्या सर्वोपरि है। इसके लिए आपको सबसे पहले अपनी एक आदर्श दिनचर्या बनानी होगी और उसके बाद उस दिनचर्या का सख़्ती से पालन करना आवश्यक है। हालांकि यहाँ यह समझना ज़रुरी है कि आदर्श दिनचर्या क्या होती है। इसके अंतर्गत सही समय पर सोना-जगना, खाना-पीना आदि चीज़ें आती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि आपको अपने कार्यों का समय प्रबंधन करना होगा। यदि आप इस दिनचर्या का ईमानदारी से पालन करते रहे तो कुछ समय के बाद आपमें एक सकारात्मक बदलाव नज़र आएगा और उस परिवर्तन को आप स्वयं महसूस कर पाएंगे। इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए अनुशासित दिनचर्या नितांत आवश्यक है।

योग और व्यायाम करें

“स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है।” यह वाक्य अपने में सार्थक है इसलिए ज़रुरी है आपको अपना शरीर फिट बनाए रखना चाहिए। उसके लिए आप योग एवं शारीरिक व्यायाम आदि कर सकते हैं। योग और व्यायाम में मनुष्य को स्वस्थ बनाए रखने की असीम शक्ति समाहित है। ध्यान रखें, शारीरिक व्यायाम न केवल आपको स्वस्थ बनाती है, बल्कि यह आपके व्यक्तित्व को भी निखारने में मदद करती है। योग और व्यायाम में असीम शक्ति है। यदि संभव हो पाए तो जल्दी सबेरे उठकर दौड़ लगाएं। अपने शरीर को आकर्षक बनाने के लिए आप जिम भी जा सकते हैं।

ध्यान क्रिया करें

ध्यान एक ऐसी क्रिया है जिसके कारण शरीर की आतंरिक क्रियाओं में विशेष परिवर्तन होता है और शरीर की प्रत्येक कोशिकाएं ऊर्जा से भर जाती हैं। ध्यान क्रिया आपको मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती है। मन को शांत और एकाग्र करने के लिए यह बहुत ही योग्य विधि है। इसके अलावा ध्यान करने से विचारों में स्पष्टता और संवाद शैली में सुधार आता है। ध्यान हमारी मानसिक शक्ति और बौद्धिक चेतना में वृद्धि करता है।

पौष्टिक आहार का सेवन करें

हमारे शरीर को खनिज और विटामिन्स, प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट आदि की आवश्यकता होती है। यदि ये हमें पर्याप्त रूप से न मिलें तो हम कुपोषण का शिकार हो सकते हैं। इसलिए खाद्य पदार्थों में हमें ये संतुलित मात्रा में अवश्य लेना चाहिए। उदाहरण के लिए खनिज पदार्थों में मनुष्य के शरीर को सबसे ज्यादा कैल्शियम की आवश्यकता होती है इसलिए हमें अपने खाद्य पदार्थों में कैल्शियम युक्त भोजन करना चाहिए। कैल्शियम का सबसे अच्छा स्त्रोत हरी पत्तेदार सब्जियां, सोयाबीन, दाल आदि हैं। ऐसे ही प्रोटीन्स और विटामिन्स हमारे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अति आवश्यक हैं। इसलिए फिट रहने के लिए हमें अपने खान-पान पर ध्यान देना चाहिए।

स्पोर्ट्स ( खेल ) से जुड़ें

अच्छी सेहत के लिए स्पोर्ट्स से जुड़ना चाहिए। इसके लिए ऐसे खेलों को चुनें जिसमें आपकी शारीरिक सक्रियता अधिक हो। इससे आपकी शारीरिक और मानसिक स्थिति स्वस्थ रहेगी। खेलने से व्यक्ति के अंदर अनुशासनात्मक गुण विकसित होते हैं। खेल भावना से व्यक्ति अधिक सामाजिक होता है। उसके अंदर एक टीम भावना पैदा होती है। आपका हृदय मजबूत होता है और इससे हृदय रोग आपके आसपास नहीं भटकते हैं। इसके साथ ही श्वसन क्रिया, रक्त का संचार भी ठीक प्रकार से होता है। जो व्यक्ति खेल से जुड़ा होता है वह अधिक उम्र में भी जवां नज़र आता है और एक खिलाड़ी की यही ख़ास बात होती है।

नियमित कराएँ सेहत की जाँच

सेहत की जाँच अवश्य करानी चाहिए। जब हम पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं तो चिकित्सक के पास नहीं जाते हैं, जबकि हमें नियमित रूप से अपने हैल्थ का चेकअप कराना चाहिए। दरअसल चेकअप के द्वारा आप अपनी शरीर की कमियों और ज़रुरतों को जान सकेंगे। 

*आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा।*

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