आरती श्री गोवर्धन महाराज की
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज ,
तेरे माथे मुकुट बिराज रहयौ।
1) तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,तोपे पान चढे तोपे फूल चढ़े।
तोपे चढे दूध की धार ओ धार ।
तेरे माथे मुकुट बिराज रहयौ।
श्री गोवर्धन महाराज .........
2)तेरी सात कोस की परिकममा, तेरी सात कोस की परिकममा।
और चकलेशवर विश्राम ,विश्राम तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ ।
श्री गोवर्धन महाराज ...........
3) तेरे गले मे कंठा साज रहयौ,तेरे गले मे कंठा साज रहयौ ।
ठोडी पे हीरा लाल ओ लाल ।
तेरे माथे मुकुट बिराज रहयौ।
श्री गोवर्धन महाराज......
4) तेरे कानन कुंडल चमक रहयौ,तेरे कानन कुंडल चमक रहयौ ।
तेरी झांकी बनी विशाल ओ विशाल।
तेरे माथे मुकुट बिराज रहयौ।
श्री गोवर्धन महाराज .......
5) गिरीराज धरण प्रभु तेरी शरण ,गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।
करो भक्त का बेडा पार ओ पार ।
तेरे माथे मुकुट बिराज रहयौ।
श्री गोवर्धन महाराज ओ महाराज तेरे माथे मुकुट बिराज रहयौ।
श्री गोवर्धन महाराज की जय।
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