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Monday, November 23, 2020

उत्तम पति प्राप्त करने का साधन

एक बार स्वर्ग की अप्सराओं ने देवर्षि नारद जी से पूछा, "देवर्षि आप ब्रम्हा जी के पुत्र है। हमे उत्तम पति पाने की अभिलाषा है। भगवान नारायण हमारे प्राण पति हो सके। इसके लिए आप हम लोगों को कोई व्रत बताने की कृपा करे।
नारद जी ने कहा -प्रायः सबके लिए कल्याणदायक नियम यह है कि प्रश्न करने के पूर्व प्रश्नकर्ता विनयपूर्वक प्रणाम करे,पर तुम लोगों ने इस नियम का पालन नही किया क्यूकि तुमको अपनी युवा अवस्था का गर्व है। फिर भी तुम लोग देवाधिदेव भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन करो और उनसे वर मांगो-प्रभो आप हमारे स्वामी होने की कृपा करे। इससे तुम्हारा सम्पूर्ण मनोरथ सिद्ध होगा। इसमे कोई संशय नहीं है।साथ ही मै एक व्रत भी बताता हू जिसे करने से भगवान श्री हरि स्वंय वर देने के लिए उधत हो जाते है । चैत्र और वैशाख मास के शुक्ल पक्ष मे जो द्वादशी तिथि आती है उस दिन यह व्रत करना चाहिए। रात मे विधिवत भगवान श्री हरि की पूजा करे। बुद्धिमान वयकति को चाहिए कि भगवान की प्रतिमा के ऊपर लाल फूलों से एक मंडप बनवाये। नृत्य, गीत एवं वाध के साथ रात मे जागरण करे तथा "ॐ भवाय नमः"," ऊँ अनङ्गाय नमः"," ऊँ कामाय् नमः"," ऊँ सुसास्त्राय् नमः"," ऊँ मन्मथाय नमः"तथा "ऊँ हरये नमः" कहकर क्रमशः भगवान के सिर,कटि,भुजा,उदर एवं चरण आदि की पूजा करे। फिर भगवान को प्रणाम कर रात्रि जागरण की विधि संपन्न करके प्रातः काल भगवान की वह प्रतिमा वेद वेदांग के जानकार ब्राहमण को दान कर दे।
अप्सराओं इस प्रकार व्रत करने पर इच्छानुकूल भगवान विष्णु अवश्य पति रूप मे तुम्हे प्राप्त होंगे। इसके पश्चात ईख (गन्ना ) के पवित्र रस तथा मल्लिका आदि के फूलों से उन देवेशवर की पूजा करना।
इस प्रकार कहकर देवर्षि नारद जी उसी क्षण वहाँ से चले गए। उन अप्सराओं ने व्रत की विधि संपन्न की। फलस्वरूप स्वंय भगवान श्री हरि उन पर संतुष्ट होकर कृष्णावतार मे उनके पति हुए।
(वराह पुराण-अध्याय 54) 

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